किया ख़ाक आतिश-ए-इश्क़ ने दिल-ए-बे-नवा-ए-'सिराज' कूँ By Sher << मानी हैं मैं ने सैकड़ों ब... मैं ख़ानक़ाह-ए-बदन से उदा... >> किया ख़ाक आतिश-ए-इश्क़ ने दिल-ए-बे-नवा-ए-'सिराज' कूँ न ख़तर रहा न हज़र रहा मगर एक बे-ख़तरी रही Share on: