सिर्फ़ अल्फ़ाज़ पे मौक़ूफ़ नहीं लुत्फ़-ए-सुख़न By Sher << इश्क़ की अज़्मतें बजा लेक... किस ने बेचा नहीं सुख़न अप... >> सिर्फ़ अल्फ़ाज़ पे मौक़ूफ़ नहीं लुत्फ़-ए-सुख़न आँख ख़ामोश अगर है तो ज़बाँ कुछ भी नहीं Share on: