सियह-बख़्ती का साया दीदा-ओ-दिल पर है यूँ तारी By Sher << आप छू देखें किसी ग़ुंचे क... एक दिल पत्थर बने और एक दि... >> सियह-बख़्ती का साया दीदा-ओ-दिल पर है यूँ तारी कि इक मुद्दत से मेरे दिन भी कजलाए हुए से हैं Share on: