सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया By Sher << हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि ... मिरे दिल ने झटके उठाए हैं... >> सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी Share on: