सो जाता है फ़ुटपाठ पे अख़बार बिछा कर By मज़दूर, Sher << इक तेज़ राद जैसी सदा हर म... वो सुबह को इस डर से नहीं ... >> सो जाता है फ़ुटपाठ पे अख़बार बिछा कर मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाता Share on: