सुब्ह ले जाते हैं हम अपना जनाज़ा घर से By Sher << मकाँ बनाते हुए छत बहुत ज़... लोगों के फोड़ता फिरे शीशे >> सुब्ह ले जाते हैं हम अपना जनाज़ा घर से शाम को फिर उसे काँधों पे उठा लाते हैं Share on: