लोगों के फोड़ता फिरे शीशे By Sher << सुब्ह ले जाते हैं हम अपना... ना-उमीदी हर्फ़-ए-तोहमत ही... >> लोगों के फोड़ता फिरे शीशे मोहतसिब को तो मस्ख़रा कहिए Share on: