सुलगती प्यास ने कर ली है मोरचा-बंदी By Sher << कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म... पसपा हुई सिपाह तो परचम भी... >> सुलगती प्यास ने कर ली है मोरचा-बंदी इसी ख़ता पे समुंदर ख़िलाफ़ रहता है Share on: