सुन वस्फ़-ए-दहन दीजिए कुछ मुँह से पियारे By Sher << न निकली हसरत-ए-दिल एक भी ... तिरा न मिलना अजब गुल खिला... >> सुन वस्फ़-ए-दहन दीजिए कुछ मुँह से पियारे मुझ शायर-ए-मुफ़लिस की है गुज़रान सिले पर Share on: