न निकली हसरत-ए-दिल एक भी हज़ार अफ़सोस By Sher << तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओ... सुन वस्फ़-ए-दहन दीजिए कुछ... >> न निकली हसरत-ए-दिल एक भी हज़ार अफ़सोस अदम से आए थे क्या क्या हम आरज़ू करते Share on: