सुनी अँधेरों की सुगबुगाहट तो शाम यादों की कहकशाँ से By शाम, रात, चाँद, Sher << मरने के बअ'द कोई पशेम... पूछो ज़रा ये कौन सी दुनिय... >> सुनी अँधेरों की सुगबुगाहट तो शाम यादों की कहकशाँ से छुपे हुए माहताब निकले बुझे हुए आफ़्ताब निकले Share on: