ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का By Sher << क़तरे की जुरअतों ने सदफ़ ... उसे छत पर खड़े देखा था मै... >> ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का या-रब न बुझे चराग़ दिल का Share on: