ताब-ए-यक-लहज़ा कहाँ हुस्न-ए-जुनूँ-ख़ेज़ के पेश By Sher << अहल-ए-म'अनी जुज़ न बू... यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ास... >> ताब-ए-यक-लहज़ा कहाँ हुस्न-ए-जुनूँ-ख़ेज़ के पेश साँस लेने से तवज्जोह में ख़लल पड़ता है Share on: