ताकि इबरत करें और ग़ैर न देखें तुझ को By Sher << था रू-ए-ज़मीं तंग ज़ि-बस ... शैख़ तू नेक-ओ-बद-ए-दुख़्त... >> ताकि इबरत करें और ग़ैर न देखें तुझ को जी में आता है निकलवाइए दो-चार की आँख Share on: