शैख़ तू नेक-ओ-बद-ए-दुख़्तर-ए-रज़ क्या जाने By Sher << ताकि इबरत करें और ग़ैर न ... शब-ए-अव्वल तो तवक़्क़ो पे... >> शैख़ तू नेक-ओ-बद-ए-दुख़्तर-ए-रज़ क्या जाने वो बिचारी तो तिरे पास न आई न गई Share on: