तमाम दोस्त अलाव के गिर्द जम्अ थे और By Sher << ये आब-दीदा ठहर जाए झील की... बुलबुल ग़ज़ल-सराई आगे हमा... >> तमाम दोस्त अलाव के गिर्द जम्अ थे और हर एक अपनी कहानी सुनाने वाला था Share on: