तमाम उम्र हवा फांकते हुए गुज़री By Sher << मोतकिफ़ हो शैख़ अपने दिल ... जो ये कहे कि रेख़्ता क्यू... >> तमाम उम्र हवा फांकते हुए गुज़री रहे ज़मीं पे मगर ख़ाक का मज़ा न लिया Share on: