तमाम उम्र नए लफ़्ज़ की तलाश रही By Sher << ख़िरद की रह जो चला मैं तो... बोले वो मुस्कुरा के बहुत ... >> तमाम उम्र नए लफ़्ज़ की तलाश रही किताब-ए-दर्द का मज़मूँ था पाएमाल ऐसा Share on: