तमाम यादें महक रही हैं हर एक ग़ुंचा खिला हुआ है By Sher << काबा-ए-रुख़ की तरफ़ पढ़नी ... इश्क़ का नाम गरचे है मशहू... >> तमाम यादें महक रही हैं हर एक ग़ुंचा खिला हुआ है ज़माना बीता मगर गुमाँ है कि आज ही वो जुदा हुआ है Share on: