वो दाएरों से जो बाहर न आ सके 'तनवीर' By Sher << हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम ... तख़्लीक़ अँधेरों से किए ह... >> वो दाएरों से जो बाहर न आ सके 'तनवीर' वो रस्म-ए-गर्दिश-ए-परकार तोड़ दी मैं ने Share on: