क्यूँ न 'तनवीर' फिर इज़हार की जुरअत कीजे By Sher << रात रो रो के गुज़ारी है च... घरों में क़ैद हैं बस्ती क... >> क्यूँ न 'तनवीर' फिर इज़हार की जुरअत कीजे ख़ामुशी भी तो यहाँ बाइस-ए-रुस्वाई है Share on: