तरफ़-ए-काबा न जा हज के लिए नादाँ है By Sher << वो बात क्या जो और की तहरी... 'सिराज' इन ख़ूब-र... >> तरफ़-ए-काबा न जा हज के लिए नादाँ है ग़ौर कर देख कि है ख़ाना-ए-दिल मस्कन-ए-दोस्त Share on: