तेरे बाज़ार-ए-दहर में गर्दूं By Sher << मुझ से कहा जिब्रील-ए-जुनू... हवा भी इश्क़ की लगने न दे... >> तेरे बाज़ार-ए-दहर में गर्दूं हम भी आए हैं इक क़बा के लिए Share on: