तेरे चेहरे पे उजाले की सख़ावत ऐसी By Sher << तुम्हारे शहर में मय्यत को... जो उलझी थी कभी आदम के हाथ... >> तेरे चेहरे पे उजाले की सख़ावत ऐसी और मिरी रूह में नादार अंधेरा ऐसा Share on: