तीरगी ही तीरगी हद्द-ए-नज़र तक तीरगी By Sher << मुल्क-ए-अदम से दहर के मात... कहते हुए साक़ी से हया आती... >> तीरगी ही तीरगी हद्द-ए-नज़र तक तीरगी काश मैं ख़ुद ही सुलग उठ्ठूँ अँधेरी रात में Share on: