तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं By Sher << उसी की शरह है ये उठते दर्... कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल ... >> तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं हाँ मुझी को ख़राब होना था Share on: