तेरी दूरी भी है मुश्किल तिरी क़ुर्बत भी मुहाल By Sher << वो जिस में लौट के आती थी ... हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर... >> तेरी दूरी भी है मुश्किल तिरी क़ुर्बत भी मुहाल किस क़दर तू ने मिरी जान सताया है मुझे Share on: