तेशे की क्या मजाल थी ये जो तराशे बे सुतूँ By Sher << न हो एहसास तो सारा जहाँ ह... तहसीन के लायक़ तिरा हर शे... >> तेशे की क्या मजाल थी ये जो तराशे बे सुतूँ था वो तमाम दिल का ज़ोर जिस ने पहाड़ ढा दिया Share on: