था मुक़द्दम इश्क़-ए-बुत इस्लाम पर तिफ़्ली में भी By Sher << छोड़ा न रश्क ने कि तिरे घ... नहीं जी चाहता मिलने को सु... >> था मुक़द्दम इश्क़-ए-बुत इस्लाम पर तिफ़्ली में भी या सनम कह कर पढ़ा मकतब में बिस्मिल्लाह को Share on: