तिरी तेग़ की आब जाती रही है By Sher << बुत-ख़ाने में क्या याद-ए-... कुछ क़फ़स में इन दिनों लग... >> तिरी तेग़ की आब जाती रही है मिरे ज़ख़्म पानी चुराए हुए हैं Share on: