तोड़ कर निकले क़फ़स तो गुम थी राह-ए-आशियाँ By Sher << ब-ख़ुदा सज्दे करेगा वो बि... हर ज़र्रा है जमाल की दुनि... >> तोड़ कर निकले क़फ़स तो गुम थी राह-ए-आशियाँ वो अमल तदबीर का था ये अमल तक़दीर का Share on: