तोड़े बग़ैर संग तराशे न जाएँगे By Sher << ज़र्रे ज़र्रे में क़यामत ... एक दो तीन चार पाँच छे सात >> तोड़े बग़ैर संग तराशे न जाएँगे वो दिल ही क्या जो टूट के पत्थर न हो सके Share on: