तू ख़्वाब-ए-दिगर है तिरी तदफ़ीन कहाँ हो By Sher << टूटता है तो टूट जाने दो शजर से बिछड़ा हुआ बर्ग-ए-... >> तू ख़्वाब-ए-दिगर है तिरी तदफ़ीन कहाँ हो दिल में तो किसी और को दफ़नाया हुआ है Share on: