तू रोज़ जिस के तजस्सुस में आ रहा है यहाँ By Sher << किस क़दर बद-नामियाँ हैं म... सुब्ह तक जाने कहाँ मुझ को... >> तू रोज़ जिस के तजस्सुस में आ रहा है यहाँ हज़ार बार बताया है वो नहीं हूँ में Share on: