तुम गले मिल कर जो कहते हो कि अब हद से न बढ़ By Sher << जुदाई से ज़ियादा जान-लेवा कमाल-ए-तालिब-ए-दुनिया-ए-द... >> तुम गले मिल कर जो कहते हो कि अब हद से न बढ़ हाथ तो गर्दन में हैं हम पाँव फैलाएँगे क्या Share on: