तुम इस रस्ते में क्यूँ बारूद बोए जा रहे हो By Sher << होगा ज़रूर एक न इक दिन मु... शाम हुई तो सूरज सोचे >> तुम इस रस्ते में क्यूँ बारूद बोए जा रहे हो किसी दिन इस तरफ़ से ख़ुद गुज़रना पड़ गया तो Share on: