तुम जो आए हो तो शक्ल-ए-दर-ओ-दीवार है और By Sher << नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं... है इंतिज़ार मुझे जंग ख़त्... >> तुम जो आए हो तो शक्ल-ए-दर-ओ-दीवार है और कितनी रंगीन मिरी शाम हुई जाती है Share on: