तुम को आना है तो आ जाओ इसी आलम में By Sher << दामन-ए-सब्र के हर तार से ... वाइज़ ख़ता-मुआफ़ कि रिंदा... >> तुम को आना है तो आ जाओ इसी आलम में बिगड़े हालात ग़रीबों के सँवरते हैं कहीं Share on: