तुम क्यूँ शब-ए-जुदाई पर्दे में छुप गए हो By Sher << कलकत्ते का जो ज़िक्र किया... ये सब ग़लत है कि होती है ... >> तुम क्यूँ शब-ए-जुदाई पर्दे में छुप गए हो क़िस्मत के और तारे सब आसमान पर हैं Share on: