तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा By Sher << ये कैसा गुल खिलाया है शजर... नुत्क़ से लब तक है सदियों... >> तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा Share on: