ये कैसा गुल खिलाया है शजर ने By Sher << ज़िंदगी हो तो कई काम निकल... तुम से मिलती-जुलती मैं आव... >> ये कैसा गुल खिलाया है शजर ने समर बनने को ग़ुंचा मुंतज़िर है Share on: