तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए By Sher << तुम्हारे देखने के वास्ते ... तुम नज़र क्यूँ चुराए जाते... >> तुम यूँ सियाह-चश्म ऐ सजन मुखड़े के झुमकों से हुए ख़ुर्शीद नीं गर्मी गिरी तब तो हिरन काला हुआ Share on: