तुम्हारी राह में आँखें बिछाए बैठा हूँ By Sher << बड़ों-बड़ों के क़दम डगमगा... क़त्ल हो तो मेरा सा मौत ह... >> तुम्हारी राह में आँखें बिछाए बैठा हूँ तुम्हारे आने की हालाँकि कोई आस नहीं Share on: