तुम्हें ऐ काश कोई राज़ ये समझा गया होता By Sher << चमक शायद अभी गीती के ज़र्... सुब्ह तक मैं सोचता हूँ शा... >> तुम्हें ऐ काश कोई राज़ ये समझा गया होता अगर सुनते तो कहने का सलीक़ा आ गया होता Share on: