तुम्हें तो क़ब्र की मिट्टी भी अब पुकारती है By Sher << जवानी की है आमद शर्म से झ... फ़िक्र-ए-जमील ख़्वाब-ए-पर... >> तुम्हें तो क़ब्र की मिट्टी भी अब पुकारती है यहाँ के लोग भी उकताए हैं चले जाओ Share on: