उलझ रहा था अभी ख़्वाब की फ़सील से मैं By Sher << इक सानेहा सा दफ़्न हूँ ले... अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख... >> उलझ रहा था अभी ख़्वाब की फ़सील से मैं कि ना-रसाई ने इक शब मुझे रसाई दी Share on: