उन्हें यक़ीं कि कोई रंज-ओ-ग़म नहीं मुझ को By Sher << सुब्ह तक वो भी न छोड़ी तू... उम्र-भर उन से त'अल्लु... >> उन्हें यक़ीं कि कोई रंज-ओ-ग़म नहीं मुझ को मुझे भरम कि मिरा मसअला समझते हैं Share on: