उसे ज़ियादा ज़रूरत थी घर बसाने की By Sher << ख़्वाब-ए-ज़ियाँ हैं उम्र ... आरज़ू है सूरज को आइना दिख... >> उसे ज़ियादा ज़रूरत थी घर बसाने की वो आ के मेरे दर-ओ-बाम ले गया मुझ से Share on: