उस को चाहा था कभी ख़ुद की तरह By Sher << एक पत्थर पूजने को शैख़ जी... किसी दिन मेरी रुस्वाई का ... >> उस को चाहा था कभी ख़ुद की तरह आज ख़ुद अपने तलबगार हैं हम Share on: