उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ By उदासी, मायूसी, Sher << रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ... राह-ए-उल्फ़त में मुलाक़ात... >> उठते नहीं हैं अब तो दुआ के लिए भी हाथ किस दर्जा ना-उमीद हैं परवरदिगार से Share on: